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ह्यूमन चैलेंज ट्रायल (HCT) एक ऐसा अध्ययन है जिसमें यह देखने के लिए कि टीका प्रभावी है या नहीं, स्वयंसेवकों को टीका दिए जाने के बाद जानबूझकर वायरस से संक्रमित किया जाता है। नैदानिक परीक्षण आम तौर पर प्रतिभागियों को उनके दैनिक जीवन में कोविड-19 के संपर्क में आने देते हैं, लेकिन HCT वायरस, प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया, दवाओं और उपचारों के बारे में जानने के लिए स्वयंसेवकों को जानबूझकर संक्रमित करते हैं।
ह्यूमन चैलेंज ट्रायल (HCT) एक ऐसा अध्ययन है जिसमें यह देखने के लिए कि टीका प्रभावी है या नहीं, स्वयंसेवकों को टीका दिए जाने के बाद जानबूझकर वायरस से संक्रमित किया जाता है। नैदानिक परीक्षण आम तौर पर प्रतिभागियों को उनके दैनिक जीवन में कोविड-19 के संपर्क में आने देते हैं, लेकिन HCT वायरस, प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया, दवाओं और उपचारों के बारे में जानने के लिए स्वयंसेवकों को जानबूझकर संक्रमित करते हैं।
ह्यूमन चैलेंज ट्रायल स्वस्थ स्वयंसेवकों के एक समूह को लेते हैं और समूह के आधे लोगों को किसी विशिष्ट बीमारी के लिए टीका देते हैं। अन्य आधे सदस्य प्रायोगिक औषध (एक नकली दावा जिसे वो असली टीका समझते हैं) प्राप्त करते हैं। इसके बाद अन्वेषक पूरे समूह को जानबूझकर एक प्रयोगशाला में वास्तविक वायरस के लिए उच्च खुराक के संपर्क में लाते हैं ताकि वे सभी संक्रमित हो सकें। वायरस के संपर्क में आने के बाद, यदि वह समूह बीमार नहीं पड़ता है जिसे टीका लगाया गया था, जबकि प्रायोगिक औषध समूह बीमार पड़ जाता है, तो इसका मतलब है कि टीका प्रभावी है।
HCT अधिकाँश पारंपरिक टीका प्रयोगों से भिन्न होते हैं, जो तब तक प्रतीक्षा करते हैं जब तक कि प्रयोगशाला के बाहर अनुसंधान विषय अपने दैनिक जीवन में वायरस के संपर्क में नहीं आते।
ह्यूमन चैलेंज ट्रायल का एक लाभ वो गति है जिसके साथ स्वयंसेवक वायरस के संपर्क में आते हैं। इसका मतलब है कि अन्वेषक शीघ्रता से जान सकते हैं कि उनका टीका प्रभावी है या नहीं।
ह्यूमन चैलेंज ट्रायल को उन स्थानों में आयोजित किया जाता है जिसमें अन्वेषक अन्य कारकों को नियंत्रित कर सकते हैं, जैसे कि एक समूह को वायरस के संपर्क में कब लाना है, परीक्षण में कौन भाग लेता है, और स्वयंसेवक कैसे वायरस के संपर्क में आते हैं। इनमें अन्य चिकित्सीय अध्ययनों की तुलना में प्रतिभागियों की कम संख्या भी हो सकती है।
ह्यूमन चैलेंज ट्रायल को नियंत्रित तरीके से डिज़ाइन किया जाने का नतीजा यह है कि वे परिस्थितियाँ प्रयोगशाला से बाहर, वास्तविक दुनिया में लोग वायरस से जैसे संक्रमित होते हैं उसके समान नहीं है।
ह्यूमन चैलेंज ट्रायल विवादास्पद हैं और स्वस्थ स्वयंसेवकों को ऐसे वायरस से संक्रमित करने से जिनका कोई इलाज नहीं है और जिनसे मृत्यु भी हो सकती है की नैतिकता के कारण बहस के मुद्दे बने हुए हैं। हालांकि ह्यूमन चैलेंज ट्रायल का उपयोग टाइफाइड, हैजा और मलेरिया जैसी बीमारियों के लिए चिकित्सीय अध्ययन करने के लिए किया गया था, उन सभी बीमारियों के लिए प्रमाणित चिकित्सीय इलाज मौजूद थे जो टीके के काम नहीं करने पर भी बीमारी की प्रगति को रोक सकते थे। कोविड-19 के मामले में उपचार के कुछ ही विकल्प मौजूद हैं, इसलिए इसमें शामिल जोखिम की मात्रा — स्वस्थ, युवा, इच्छुक स्वयंसेवकों में भी — बहुत ज़्यादा है।
ह्यूमन चैलेंज ट्रायल स्वस्थ स्वयंसेवकों के एक समूह को लेते हैं और समूह के आधे लोगों को किसी विशिष्ट बीमारी के लिए टीका देते हैं। अन्य आधे सदस्य प्रायोगिक औषध (एक नकली दावा जिसे वो असली टीका समझते हैं) प्राप्त करते हैं। इसके बाद अन्वेषक पूरे समूह को जानबूझकर एक प्रयोगशाला में वास्तविक वायरस के लिए उच्च खुराक के संपर्क में लाते हैं ताकि वे सभी संक्रमित हो सकें। वायरस के संपर्क में आने के बाद, यदि वह समूह बीमार नहीं पड़ता है जिसे टीका लगाया गया था, जबकि प्रायोगिक औषध समूह बीमार पड़ जाता है, तो इसका मतलब है कि टीका प्रभावी है।
HCT अधिकाँश पारंपरिक टीका प्रयोगों से भिन्न होते हैं, जो तब तक प्रतीक्षा करते हैं जब तक कि प्रयोगशाला के बाहर अनुसंधान विषय अपने दैनिक जीवन में वायरस के संपर्क में नहीं आते।
ह्यूमन चैलेंज ट्रायल का एक लाभ वो गति है जिसके साथ स्वयंसेवक वायरस के संपर्क में आते हैं। इसका मतलब है कि अन्वेषक शीघ्रता से जान सकते हैं कि उनका टीका प्रभावी है या नहीं।
ह्यूमन चैलेंज ट्रायल को उन स्थानों में आयोजित किया जाता है जिसमें अन्वेषक अन्य कारकों को नियंत्रित कर सकते हैं, जैसे कि एक समूह को वायरस के संपर्क में कब लाना है, परीक्षण में कौन भाग लेता है, और स्वयंसेवक कैसे वायरस के संपर्क में आते हैं। इनमें अन्य चिकित्सीय अध्ययनों की तुलना में प्रतिभागियों की कम संख्या भी हो सकती है।
ह्यूमन चैलेंज ट्रायल को नियंत्रित तरीके से डिज़ाइन किया जाने का नतीजा यह है कि वे परिस्थितियाँ प्रयोगशाला से बाहर, वास्तविक दुनिया में लोग वायरस से जैसे संक्रमित होते हैं उसके समान नहीं है।
ह्यूमन चैलेंज ट्रायल विवादास्पद हैं और स्वस्थ स्वयंसेवकों को ऐसे वायरस से संक्रमित करने से जिनका कोई इलाज नहीं है और जिनसे मृत्यु भी हो सकती है की नैतिकता के कारण बहस के मुद्दे बने हुए हैं। हालांकि ह्यूमन चैलेंज ट्रायल का उपयोग टाइफाइड, हैजा और मलेरिया जैसी बीमारियों के लिए चिकित्सीय अध्ययन करने के लिए किया गया था, उन सभी बीमारियों के लिए प्रमाणित चिकित्सीय इलाज मौजूद थे जो टीके के काम नहीं करने पर भी बीमारी की प्रगति को रोक सकते थे। कोविड-19 के मामले में उपचार के कुछ ही विकल्प मौजूद हैं, इसलिए इसमें शामिल जोखिम की मात्रा — स्वस्थ, युवा, इच्छुक स्वयंसेवकों में भी — बहुत ज़्यादा है।
यूके के एक ह्यूमन चैलेंज ट्रायल के परीक्षण डिज़ाइन और नैतिक विचारों को 17 फरवरी, 2021 को यूके के नियामकों से अनुमोदन प्राप्त हुआ, जिसने अध्ययन के आगे बढ़ने और प्रतिभागियों के नामांकन शुरू करने को सक्षम बनाया। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यह अध्ययन इस बात पर प्रकाश डालेगा कि कितना एक्सपोज़र संक्रमण का कारण होता है और समय के साथ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया कैसे विकसित होती है।
अध्ययन को मार्च 2020 से प्रसारित हो रहे मूल कोरोना वायरस के एक प्रकार का उपयोग करके अस्पताल के अलगाव कक्षों में नियंत्रित सेटिंग के लिए डिज़ाइन किया गया है, इसलिए यह समझने के लिए अतिरिक्त अन्वेषण की आवश्यकता होगी कि वास्तविक दुनिया में और नए वेरिएंट पर टीके कैसे काम करते हैं।
यह जानते हुए कि मानव चुनौती प्रयोग (ह्यूमन चैलेंज ट्रायल) की आवश्यकता हो सकती है, और जैसा कि कोविड-19 के लिए उपचार और टीके विकसित किए गए हैं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मई 2020 में वैज्ञानिकों, डॉक्टरों, नैतिकतावादियों और अन्वेषकों के लिए मार्गदर्शन जारी किया। WHO दस्तावेज़ संबद्ध नैतिकता का एक विवरण प्रदान करता है, समीक्षण करता है कि अध्ययनों पर क्यों विचार किया जा रहा है, और संभावित विचार का पालन करने के लिए अध्ययन के लिए आठ मानदंडों को सूचीबद्ध करता है। मानदंड यह सुनिश्चित करने के लिए तय किए गए हैं कि पर्याप्त वैज्ञानिक प्रामाणिकता है, कि जोखिमों और लाभों पर सावधानीपूर्वक विचार किया गया है, कि अध्ययन जनता के सदस्यों के साथ-साथ विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं के बीच परामर्श और समन्वय के साथ किया जाता है, और यह कि अध्ययन स्थल उच्चतम नैदानिक और नैतिक मानकों का पालन करते हुए अनुसंधान करने के लिए सुसज्जित हैं, और यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रतिभागियों का चयन जोखिम को कम करने के लिए किया गया है।
ह्यूमन चैलेंज ट्रायल की योजना बनाने में कई महीने लगते हैं और वैश्विक सर्वव्यापी महामारी की स्थिति में, कई विशेषज्ञों का तर्क है कि इन परीक्षणों को शुरू करने की योजना बनाने मे बर्बाद करने के लिए कोई समय नहीं है। अमेरिका के लिए एक खुले पत्र में राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान, 15 नोबेल पुरस्कार विजेता और 100 से अधिक शीर्ष वैज्ञानिकों और अन्वेषकों ने कोविड-19 टीकों के लिए ह्यूमन चैलेंज ट्रायल की तैयारी को प्रोत्साहित किया। पत्र का आयोजन एक प्रतिपालन समूह द्वारा किया गया था जिसने 140 से अधिक देशों में 30,000 से अधिक ह्यूमन चैलेंज ट्रायल स्वयंसेवकों के हस्ताक्षर एकत्र किए थे।
यूके के एक ह्यूमन चैलेंज ट्रायल के परीक्षण डिज़ाइन और नैतिक विचारों को 17 फरवरी, 2021 को यूके के नियामकों से अनुमोदन प्राप्त हुआ, जिसने अध्ययन के आगे बढ़ने और प्रतिभागियों के नामांकन शुरू करने को सक्षम बनाया। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यह अध्ययन इस बात पर प्रकाश डालेगा कि कितना एक्सपोज़र संक्रमण का कारण होता है और समय के साथ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया कैसे विकसित होती है।
अध्ययन को मार्च 2020 से प्रसारित हो रहे मूल कोरोना वायरस के एक प्रकार का उपयोग करके अस्पताल के अलगाव कक्षों में नियंत्रित सेटिंग के लिए डिज़ाइन किया गया है, इसलिए यह समझने के लिए अतिरिक्त अन्वेषण की आवश्यकता होगी कि वास्तविक दुनिया में और नए वेरिएंट पर टीके कैसे काम करते हैं।
यह जानते हुए कि मानव चुनौती प्रयोग (ह्यूमन चैलेंज ट्रायल) की आवश्यकता हो सकती है, और जैसा कि कोविड-19 के लिए उपचार और टीके विकसित किए गए हैं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मई 2020 में वैज्ञानिकों, डॉक्टरों, नैतिकतावादियों और अन्वेषकों के लिए मार्गदर्शन जारी किया। WHO दस्तावेज़ संबद्ध नैतिकता का एक विवरण प्रदान करता है, समीक्षण करता है कि अध्ययनों पर क्यों विचार किया जा रहा है, और संभावित विचार का पालन करने के लिए अध्ययन के लिए आठ मानदंडों को सूचीबद्ध करता है। मानदंड यह सुनिश्चित करने के लिए तय किए गए हैं कि पर्याप्त वैज्ञानिक प्रामाणिकता है, कि जोखिमों और लाभों पर सावधानीपूर्वक विचार किया गया है, कि अध्ययन जनता के सदस्यों के साथ-साथ विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं के बीच परामर्श और समन्वय के साथ किया जाता है, और यह कि अध्ययन स्थल उच्चतम नैदानिक और नैतिक मानकों का पालन करते हुए अनुसंधान करने के लिए सुसज्जित हैं, और यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रतिभागियों का चयन जोखिम को कम करने के लिए किया गया है।
ह्यूमन चैलेंज ट्रायल की योजना बनाने में कई महीने लगते हैं और वैश्विक सर्वव्यापी महामारी की स्थिति में, कई विशेषज्ञों का तर्क है कि इन परीक्षणों को शुरू करने की योजना बनाने मे बर्बाद करने के लिए कोई समय नहीं है। अमेरिका के लिए एक खुले पत्र में राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान, 15 नोबेल पुरस्कार विजेता और 100 से अधिक शीर्ष वैज्ञानिकों और अन्वेषकों ने कोविड-19 टीकों के लिए ह्यूमन चैलेंज ट्रायल की तैयारी को प्रोत्साहित किया। पत्र का आयोजन एक प्रतिपालन समूह द्वारा किया गया था जिसने 140 से अधिक देशों में 30,000 से अधिक ह्यूमन चैलेंज ट्रायल स्वयंसेवकों के हस्ताक्षर एकत्र किए थे।