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16 जुलाई, 2021 तक, पूर्वी अफ्रीका ब्लॉक का निर्माण करने वाले देशों में इस महाद्वीप में कोविड-19 टीके की अधिकतम खुराकों को उपलब्ध कराया गया है। पूर्वी अफ्रीका में जो टीके लगाए गए हैं, वे मुख्य रूप से वैक्सीन-साझाकरण गठबंधन कोवैक्स के माध्यम से प्राप्त एस्ट्राजेनेका की खुराक हैं। पूर्वी अफ्रीका में वैक्सीन रोलआउट रणनीति जोखिम वाले समूहों को प्राथमिकता देती है और टीके लगाने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं पर बहुत अधिक निर्भर करती है।
16 जुलाई, 2021 तक, पूर्वी अफ्रीका ब्लॉक का निर्माण करने वाले देशों में इस महाद्वीप में कोविड-19 टीके की अधिकतम खुराकों को उपलब्ध कराया गया है। पूर्वी अफ्रीका में जो टीके लगाए गए हैं, वे मुख्य रूप से वैक्सीन-साझाकरण गठबंधन कोवैक्स के माध्यम से प्राप्त एस्ट्राजेनेका की खुराक हैं। पूर्वी अफ्रीका में वैक्सीन रोलआउट रणनीति जोखिम वाले समूहों को प्राथमिकता देती है और टीके लगाने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं पर बहुत अधिक निर्भर करती है।
16 जुलाई, 2021 तक पूर्वी अफ्रीका ब्लॉक का निर्माण करने वाले देशों में इस महाद्वीप में कोविड-19 टीके की अधिकतम खुराकों को उपलब्ध कराया गया है। पूर्वी अफ्रीका में लगाए गए टीके मुख्य रूप से वैक्सीन-साझाकरण गठबंधन कोवैक्स के माध्यम से प्राप्त एस्ट्राजेनेका खुराक हैं। पूर्वी अफ़्रीका में टीका रोलआउट रणनीति उन समूहों को प्राथमिकता देती है जिन को ख़तरा है और सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मियों पर बहुत अधिक निर्भर करती है ।
कोविड-19 के दुनिया भर में दिए गए 3.4 अरब टीकों में से (जुलाई 16, 2021 तक) 0.21 प्रतिशत टीके पूर्वी अफ़्रीका में लगाए गए हैं । पूर्वी अफ़्रीकी देशों को कोवैक्स कार्यक्रम के अंतर्गत फ़रवरी 2021 में टीके मिलने शुरु हुए और सीमित मात्रा में मिलें। क्षेत्रीय गणनांक में इथोपिया सबसे आगे है जहाँ 25 लाख खुराक लग चुकी हैं, उसके बाद केन्या है जहां 17 लाख 30 हज़ार खुराक लगी हैं । तंज़ानिया आने वाले हफ़्तों में अपने पहले टीके प्राप्त करने के लिए तैयार है । बुरुंडी और इरिट्रिया की अब तक कोविड-19 टीके लेने की कोई सार्वजनिक योजनाएं नहीं हैं ।
कोविड-19 के कारण दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चल रहा है । यह आपूर्ति श्रृंखला और रोलआउट बेहद जटिल बनाता है । विभिन्न कोविड-19 टीकों की भंडारण और खुराकों की विभिन्न परिस्थितियों से प्रचालन तंत्र और अधिक पेचीदा हो जाते हैं । पूर्वी अफ़्रीकी देशों के लिए, टीका नियोजन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और प्रचालन प्रबंधन प्रणालियों के सीमित होने के कारण प्रारंभ-से-अंत तक के प्रचालन तंत्र और भी अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाते हैं । जिसमें शामिल है, लेकिन इन्हीं तक सीमित नहीं है:
- टीकों को ठंडा रखने के लिए आवश्यकताएँ। यह आवश्यकताएँ 2 से 8 डिग्री सेल्शियस पर मानक प्रशीतन से लेकर -80 से -60 डिग्री सेल्शियस पर अत्याधिक ठंडे प्रशीतन के बीच रहती हैं । इतने ठंडा रखने की ज़रूरत से टीकों के वितरण में भी चुनौतियां उत्पन्न होती हैं । - कमज़ोर आंकड़े-संग्रह प्रणालियां। कई देशों के पास ज़रूरी मानवीय और वित्तीय संसाधनों का अनुमान लगाने, ख़तरे की कगार पर खड़े समूहों को निर्धारित करने, और टीकों के वितरण के लिए स्वास्थ्य प्रणाली क्षमताओं का अनुमान लगाने के लिए सटीक आंकड़े नहीं हैं - सीमित प्रशिक्षित कार्यबल। सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मियों की आबादी सुदूरवर्ती आबादियों तक पहुंचने का मुख्य स्रोत हैं - टीके को बढ़ावा देने और टीके की झिझक को दूर करने के लिए खराब स्वास्थ्य संचार - अप्रभावी शासन और टीके के वितरण में भूल
कोवैक्स द्वारा टीके की खुराकों का आवंटन हर देश के “तैयारी कारक” पर आधारित है जिसमें इस बात के संचालन और कानूनी मूल्यांकन शामिल होते हैं कि वह देश टीका लगाने के लिए कितना तैयार है । पूर्वी अफ़्रीकी देशों ने लक्षित समूहों को आयु, पहले से मौजूद बीमारियों और व्यवसाय के आधार पर प्राथमिकता दी है । टीके का वितरण स्वास्थ्य सुविधाओं, सहायता स्थलों, और सबसे अधिक सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मियों पर निर्भर है ।
कोविड-19 टीकों की प्राप्ति और समझ में वैश्विक विभाजन के कई कारण हैं जिनमें शामिल हैं:
- टीकों की जमाखोरी: पैंतीस उच्च-आय देशों ने अपनी सारी आबादी को पूरी तरह टीका लगाने के लिए ज़रूरत से ज़्यादा खुराकों का अग्रिम ऑर्डर दिया । इससे पूर्वी अफ़्रीकी देशों के सीमित वैश्विक आपूर्ति तक पहुंचने पर रोक लग गई । भारत द्वारा कोवैक्स योजना के अंतर्गत टीका निर्यात रोकने पर इस पहुंच में और अधिक रुकावट आ गई ।
- प्रचालन चुनौतियां: कुछ पूर्वी अफ़्रीकी देशों को टीके की खुराकें ख़राब होने की तारीख़ के करीब मिली और उन्हें टीकों को फेंकना पड़ा, कोवैक्स को वापस भेजना पड़ा या फिर दूसरे देशों को दान में देना पड़ा। उदाहरण के लिए, मालावी ने 20,000 खुराकें नष्ट की और दक्षिण सूडान ने कोवैक्स कार्यक्रम को 72,000 खुराकें वापस की। जबकि दूर-दराज़ रहने वाली आबादी, राजनीतिक अस्थिरता और असुरक्षा ने क्षेत्र में कोविड-19 टीकाकरण की सफलता के लिए काफ़ी अधिक चुनौतियां खड़ी करी हैं। जैसा कि एस्ट्राजेनेका टीके से जुड़ी सुरक्षा चिंताओं ने भी किया ।
- टीके के प्रति झिझक: मिथकों और ग़लत जानकारी समेत कई कारकों की वजह से फैली है। दिवंगत जॉन मागुफुली जैसे कुछ नेताओं ने कोविड-19 के अस्तित्व को नकार दिया। भ्रष्टाचार की ही तरह, सरकार की कोविड-19 पर प्रतिक्रिया के प्रति जनता का अविश्वास भी टीके के प्रति झिझक से जुड़ा है।
हालांकि पूर्वी अफ़्रीका कोवैक्स योजना में सक्रिय रहा है और इसकी राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थाओं ने अपने निवासियों के लिए टीके प्राप्त करने के लिए ज़्यादातर काम किया है, कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए इस क्षेत्र में और भी बहुत सारे टीके खरीदने और वितरित करने की ज़रूरत होगी ।
16 जुलाई, 2021 तक पूर्वी अफ्रीका ब्लॉक का निर्माण करने वाले देशों में इस महाद्वीप में कोविड-19 टीके की अधिकतम खुराकों को उपलब्ध कराया गया है। पूर्वी अफ्रीका में लगाए गए टीके मुख्य रूप से वैक्सीन-साझाकरण गठबंधन कोवैक्स के माध्यम से प्राप्त एस्ट्राजेनेका खुराक हैं। पूर्वी अफ़्रीका में टीका रोलआउट रणनीति उन समूहों को प्राथमिकता देती है जिन को ख़तरा है और सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मियों पर बहुत अधिक निर्भर करती है ।
कोविड-19 के दुनिया भर में दिए गए 3.4 अरब टीकों में से (जुलाई 16, 2021 तक) 0.21 प्रतिशत टीके पूर्वी अफ़्रीका में लगाए गए हैं । पूर्वी अफ़्रीकी देशों को कोवैक्स कार्यक्रम के अंतर्गत फ़रवरी 2021 में टीके मिलने शुरु हुए और सीमित मात्रा में मिलें। क्षेत्रीय गणनांक में इथोपिया सबसे आगे है जहाँ 25 लाख खुराक लग चुकी हैं, उसके बाद केन्या है जहां 17 लाख 30 हज़ार खुराक लगी हैं । तंज़ानिया आने वाले हफ़्तों में अपने पहले टीके प्राप्त करने के लिए तैयार है । बुरुंडी और इरिट्रिया की अब तक कोविड-19 टीके लेने की कोई सार्वजनिक योजनाएं नहीं हैं ।
कोविड-19 के कारण दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चल रहा है । यह आपूर्ति श्रृंखला और रोलआउट बेहद जटिल बनाता है । विभिन्न कोविड-19 टीकों की भंडारण और खुराकों की विभिन्न परिस्थितियों से प्रचालन तंत्र और अधिक पेचीदा हो जाते हैं । पूर्वी अफ़्रीकी देशों के लिए, टीका नियोजन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और प्रचालन प्रबंधन प्रणालियों के सीमित होने के कारण प्रारंभ-से-अंत तक के प्रचालन तंत्र और भी अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाते हैं । जिसमें शामिल है, लेकिन इन्हीं तक सीमित नहीं है:
- टीकों को ठंडा रखने के लिए आवश्यकताएँ। यह आवश्यकताएँ 2 से 8 डिग्री सेल्शियस पर मानक प्रशीतन से लेकर -80 से -60 डिग्री सेल्शियस पर अत्याधिक ठंडे प्रशीतन के बीच रहती हैं । इतने ठंडा रखने की ज़रूरत से टीकों के वितरण में भी चुनौतियां उत्पन्न होती हैं । - कमज़ोर आंकड़े-संग्रह प्रणालियां। कई देशों के पास ज़रूरी मानवीय और वित्तीय संसाधनों का अनुमान लगाने, ख़तरे की कगार पर खड़े समूहों को निर्धारित करने, और टीकों के वितरण के लिए स्वास्थ्य प्रणाली क्षमताओं का अनुमान लगाने के लिए सटीक आंकड़े नहीं हैं - सीमित प्रशिक्षित कार्यबल। सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मियों की आबादी सुदूरवर्ती आबादियों तक पहुंचने का मुख्य स्रोत हैं - टीके को बढ़ावा देने और टीके की झिझक को दूर करने के लिए खराब स्वास्थ्य संचार - अप्रभावी शासन और टीके के वितरण में भूल
कोवैक्स द्वारा टीके की खुराकों का आवंटन हर देश के “तैयारी कारक” पर आधारित है जिसमें इस बात के संचालन और कानूनी मूल्यांकन शामिल होते हैं कि वह देश टीका लगाने के लिए कितना तैयार है । पूर्वी अफ़्रीकी देशों ने लक्षित समूहों को आयु, पहले से मौजूद बीमारियों और व्यवसाय के आधार पर प्राथमिकता दी है । टीके का वितरण स्वास्थ्य सुविधाओं, सहायता स्थलों, और सबसे अधिक सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मियों पर निर्भर है ।
कोविड-19 टीकों की प्राप्ति और समझ में वैश्विक विभाजन के कई कारण हैं जिनमें शामिल हैं:
- टीकों की जमाखोरी: पैंतीस उच्च-आय देशों ने अपनी सारी आबादी को पूरी तरह टीका लगाने के लिए ज़रूरत से ज़्यादा खुराकों का अग्रिम ऑर्डर दिया । इससे पूर्वी अफ़्रीकी देशों के सीमित वैश्विक आपूर्ति तक पहुंचने पर रोक लग गई । भारत द्वारा कोवैक्स योजना के अंतर्गत टीका निर्यात रोकने पर इस पहुंच में और अधिक रुकावट आ गई ।
- प्रचालन चुनौतियां: कुछ पूर्वी अफ़्रीकी देशों को टीके की खुराकें ख़राब होने की तारीख़ के करीब मिली और उन्हें टीकों को फेंकना पड़ा, कोवैक्स को वापस भेजना पड़ा या फिर दूसरे देशों को दान में देना पड़ा। उदाहरण के लिए, मालावी ने 20,000 खुराकें नष्ट की और दक्षिण सूडान ने कोवैक्स कार्यक्रम को 72,000 खुराकें वापस की। जबकि दूर-दराज़ रहने वाली आबादी, राजनीतिक अस्थिरता और असुरक्षा ने क्षेत्र में कोविड-19 टीकाकरण की सफलता के लिए काफ़ी अधिक चुनौतियां खड़ी करी हैं। जैसा कि एस्ट्राजेनेका टीके से जुड़ी सुरक्षा चिंताओं ने भी किया ।
- टीके के प्रति झिझक: मिथकों और ग़लत जानकारी समेत कई कारकों की वजह से फैली है। दिवंगत जॉन मागुफुली जैसे कुछ नेताओं ने कोविड-19 के अस्तित्व को नकार दिया। भ्रष्टाचार की ही तरह, सरकार की कोविड-19 पर प्रतिक्रिया के प्रति जनता का अविश्वास भी टीके के प्रति झिझक से जुड़ा है।
हालांकि पूर्वी अफ़्रीका कोवैक्स योजना में सक्रिय रहा है और इसकी राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थाओं ने अपने निवासियों के लिए टीके प्राप्त करने के लिए ज़्यादातर काम किया है, कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए इस क्षेत्र में और भी बहुत सारे टीके खरीदने और वितरित करने की ज़रूरत होगी ।
पूर्वी अफ़्रीका में कोविड-19 टीकाकरण रोलआउट बाकी दुनिया के मुकाबले में ज़्यादा धीमा और अधिक जटिल रहा है । यह क्षेत्र तीन तरीके से कोविड-19 टीके प्राप्त कर सकता है: कोवैक्स के ज़रिए, अफ़्रीकी टीका अधिग्रहण कार्य समूह के ज़रिए, और द्विपक्षीय तरीके से, दो सरकारों के बीच।
दो प्रतिशत से भी कम अफ़्रीकी निवासियों को पूरी तरह से टीका लगा है और इस क्षेत्र में लग चुकी 5 करोड़ खुराकें दुनिया के कुल कोविड-19 टीका वितरण का सिर्फ़ 1.6% हिस्सा है ।
पूर्वी अफ़्रीका में कोविड-19 टीकाकरण रोलआउट बाकी दुनिया के मुकाबले में ज़्यादा धीमा और अधिक जटिल रहा है । यह क्षेत्र तीन तरीके से कोविड-19 टीके प्राप्त कर सकता है: कोवैक्स के ज़रिए, अफ़्रीकी टीका अधिग्रहण कार्य समूह के ज़रिए, और द्विपक्षीय तरीके से, दो सरकारों के बीच।
दो प्रतिशत से भी कम अफ़्रीकी निवासियों को पूरी तरह से टीका लगा है और इस क्षेत्र में लग चुकी 5 करोड़ खुराकें दुनिया के कुल कोविड-19 टीका वितरण का सिर्फ़ 1.6% हिस्सा है ।